मौसम परिवर्तन में होने वाली बिमारियों से कैसे बचें? बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?
दोस्तों आज हम इंटरनेट अंकल पर मौसम और हमारी सेहत से जुड़ी बहुत जरुरी बात करेंगे, जैसे मौसम परिवर्तन में होने वाली बिमारियों से कैसे बचें? बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? दोस्तों जैसा की हम सब जानते है हमारे देश में मुख्यतः 3 मौसम ही होते हैं, सर्दी, गर्मी, और बरसात. जो की अपने समय अन्तराल में आते और जाते रहते है.
ये बात अलग है की ग्लोबल वार्मिंग (Globule warming) के कारण पिछले कुछ सालों से जलवायु (Climate) ऐसी हो गई है की गर्मी अधिक दिनों तक होती है, और सर्दी केवल दिसंबर, जनवरी, और फरवरी में ही होती है. हमें इस तरह के मौसम की आदत भी हो गई है, और धीरे धीरे हम इस जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के साथ Familiar होते जा रहे हैं.
अक्सर ऐसा होता है जब हम किसी दोस्त या परिचित व्यक्ति से मिलते हैं या रास्ते में कहीं मिल जाते हैं तो हालचाल पूछने के बाद पहला Topic मौसम ही होता है. यार सर्दी बहुत हो रही या फिर गर्मी बहुत हो रही है, दिमाग ख़राब है कोई काम नहीं हो पा रहा है, सही बात बहुत गर्मी पड़ रही है. बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?.
उसी तरह जब हम अपने दोस्त, Relative या रिश्तेदार से मिलने उनके घर जाते हैं तो अक्सर ऐसा होता है की उनकी या उनके घर में किस न किसी की तबियत ख़राब होती है, आमतौर पर बुखार, सर्दी जुखाम, सर दर्द, या पेट से जुड़ी कोई समस्या होती है, जब हम उनसे पूछते है की क्या हो गया भाई? तो जवाब मिलता है की क्या करें मौसम ही ऐसा चल रहा है या फिर कहेंगें की मौसम बहुत ख़राब है तबीयत ख़राब हो ही जाती है.
और हम भी उनकी हाँ में हाँ मिलाकर कहते हैं.. सही बात आजकल मौसम कुछ ठीक नहीं है, मेरी भी 3 दिन से तबीयत ठीक नहीं है आज जैसे तैसे tablet खा के निकला हूँ, और ये भी बताएँगे की हमारे घर में कितने लोग बीमार हैं, और सब की बीमारी का इल्ज़ाम सिर्फ मौसम को दे देते हैं.
मुझे ये नहीं समझ में आता है की हम लोग सबकी तबीयत ख़राब होने या किसी के बीमार होने का सारा दोष मौसम को ही क्यों देते हैं.
किसी की तबीयत ख़राब होती है या कोई बीमार होता है तो इसमें बेचारे मौसम का क्या कसूर जबकि मौसम परिवर्तित होकर किसी न किसी प्रकार से हमारी मदद ही करते हैं.
देखा जाए तो हमारी तबीयत ख़राब होने का कारण हमारी खुद की लापरवाही ही है, बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?
फ्रेंड्स जब मौसम आकस्मिक या अनापेक्षित तरीके से बदलता है जैसे - गर्मी के मौसम में अचानक बरसात हो जाती है, बरसात के मौसम में अचानक तेज़ धूप हो जाती है, और सर्दी के मौसम में पानी गिरने से ठंड बढ़ जाती है गलन हो जाती है. इस तरह के मौसम परिवर्तन में रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु और विषाणु अधिक सक्रिय हो जाते हैं.
इस समय ही अधिकतर लोग बीमार होते हैं, और इसकी सिर्फ यही वजह होती है की हमारा शरीर अचानक हुए इन परिवर्तनों के लिए तैयार नहीं होता है, और हम लोग बीमारी फ़ैलाने वाले जीवाणु और विषाणु के संपर्क में आ जाते हैं और बीमार हो जाते हैं.
किसी गन्दी जगह या चीज़ को न छुएं, बाहर का खाना न खाएं, खुली हुई चीज़े न खाएं और जो सबसे ज्यादा जरुरी है वो है स्वच्छता का ध्यान रखना - खाना अच्छी तरह हाथ धोकर खाएं, टॉयलेट के बाद साबुन से हाथों को जरुर धुलें, रोज़ नहायें. मुझे लगता है हम लोग अगर ये सारी चीजों का 90% भी करेंगे तो जल्दी बीमार नहीं पड़ेंगे.
किस मौसम में हमें किस तरह रहना है और कौन कौन सी सावधानी रखनी है हमें पता होते हुए भी हम अपनी मनमानी करते हैं. सोचतें हैं हमें क्या हो सकता हम तो एकदम फिट हैं, सर्दियों में ठंडी चीज़े खाएँगे, बिना गर्म कपड़े पहने बाहर घूमेंगे, और बिना हेलमेट पहने बाइक चलाएँगे, गर्मियों में मसालेदार गरम खाना, बाहर का अस्वच्छ भोजन और समोसों का आनंद लेतें हैं. किस मौसम में हमें क्या खाना है और कब कब खाना है हम इसका ख्याल नहीं रखते हैं और बीमार हो जाते हैं.
अधिक मामलों में बीमार होने की वजह हमारा खाना ही है, जब हम बीमार होने के बाद Doctor के पास जाते हैं तो Doctor भी सबसे पहले यही सवाल पूछता है की आपने खाया क्या था? आजकल हम खाना ऐसे खाते हैं जैसे हमें खाने के Nutrients से कोई मतलब ही नहीं है बस जायेका अच्छा होना चाहिए.
जाएके के लिए हम खाने को खूब तेल मसलों का तड़का लगाकर देर तक पकाते है जिससे खाने के 90% तक पोषक तत्त्व (nutrients) खत्म हो जाते हैं. दोस्तों आपको पता है सब्जियों को पेड़ से कटने के बाद 36 घंटे के अन्दर खा लेना चाहिए, 36 घंटे के बाद सब्जियों और फलों के 30% तक पोषक तत्त्व खत्म हो जाते हैं और हम बाजार से खरीदकर सब्जियों को 5 से 6 दिन तक फ्रिज में store कर देते हैं सोंचिये उनमें कितना nutrients बचा होगा.
इस कारण हमारे शरीर को पूरे और जरुरी Nutrients नहीं मिल पा रहे हैं एक वजह ये भी है जिससे हम जल्दी बीमार हो जाते हैं.
मुझे आशा है की आप यह जान गये होंगे की - "मौसम परिवर्तन में होने वाली बिमारियों से कैसे बचें? बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?" How To Prevent Disease From Season Change?
दोस्तों अगर हम इन छोटी छोटी मगर मोटी बातों का ध्यान रखें और थोड़ी Care अपनी सेहत की भी करें तो हम इतनी जल्दी बीमार नहीं होंगे और ये नहीं कहना पड़ेगा की - "मौसम ख़राब है".
शुभकामनाओं के साथ आपका इन्टरनेट अंकल।
ये बात अलग है की ग्लोबल वार्मिंग (Globule warming) के कारण पिछले कुछ सालों से जलवायु (Climate) ऐसी हो गई है की गर्मी अधिक दिनों तक होती है, और सर्दी केवल दिसंबर, जनवरी, और फरवरी में ही होती है. हमें इस तरह के मौसम की आदत भी हो गई है, और धीरे धीरे हम इस जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के साथ Familiar होते जा रहे हैं.
अक्सर ऐसा होता है जब हम किसी दोस्त या परिचित व्यक्ति से मिलते हैं या रास्ते में कहीं मिल जाते हैं तो हालचाल पूछने के बाद पहला Topic मौसम ही होता है. यार सर्दी बहुत हो रही या फिर गर्मी बहुत हो रही है, दिमाग ख़राब है कोई काम नहीं हो पा रहा है, सही बात बहुत गर्मी पड़ रही है. बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?.
उसी तरह जब हम अपने दोस्त, Relative या रिश्तेदार से मिलने उनके घर जाते हैं तो अक्सर ऐसा होता है की उनकी या उनके घर में किस न किसी की तबियत ख़राब होती है, आमतौर पर बुखार, सर्दी जुखाम, सर दर्द, या पेट से जुड़ी कोई समस्या होती है, जब हम उनसे पूछते है की क्या हो गया भाई? तो जवाब मिलता है की क्या करें मौसम ही ऐसा चल रहा है या फिर कहेंगें की मौसम बहुत ख़राब है तबीयत ख़राब हो ही जाती है.
और हम भी उनकी हाँ में हाँ मिलाकर कहते हैं.. सही बात आजकल मौसम कुछ ठीक नहीं है, मेरी भी 3 दिन से तबीयत ठीक नहीं है आज जैसे तैसे tablet खा के निकला हूँ, और ये भी बताएँगे की हमारे घर में कितने लोग बीमार हैं, और सब की बीमारी का इल्ज़ाम सिर्फ मौसम को दे देते हैं.
मुझे ये नहीं समझ में आता है की हम लोग सबकी तबीयत ख़राब होने या किसी के बीमार होने का सारा दोष मौसम को ही क्यों देते हैं.
किसी की तबीयत ख़राब होती है या कोई बीमार होता है तो इसमें बेचारे मौसम का क्या कसूर जबकि मौसम परिवर्तित होकर किसी न किसी प्रकार से हमारी मदद ही करते हैं.
देखा जाए तो हमारी तबीयत ख़राब होने का कारण हमारी खुद की लापरवाही ही है, बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?
हम बीमार क्यों होते हैं और हमें बीमार होने से बचने के लिए क्या करना चाहिए ?
दरअसल दोस्तों हमारे शरीर की एक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिसको इम्यून सिस्टम (Immune System) भी कहते हैं, जो किसी भी रोग को हमें होने से बचाती है. जब ये रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है तब हम बीमार हो जाते हैं.फ्रेंड्स जब मौसम आकस्मिक या अनापेक्षित तरीके से बदलता है जैसे - गर्मी के मौसम में अचानक बरसात हो जाती है, बरसात के मौसम में अचानक तेज़ धूप हो जाती है, और सर्दी के मौसम में पानी गिरने से ठंड बढ़ जाती है गलन हो जाती है. इस तरह के मौसम परिवर्तन में रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु और विषाणु अधिक सक्रिय हो जाते हैं.
इस समय ही अधिकतर लोग बीमार होते हैं, और इसकी सिर्फ यही वजह होती है की हमारा शरीर अचानक हुए इन परिवर्तनों के लिए तैयार नहीं होता है, और हम लोग बीमारी फ़ैलाने वाले जीवाणु और विषाणु के संपर्क में आ जाते हैं और बीमार हो जाते हैं.
मौसम परिवर्तन में होने वाली बिमारियों से कैसे बचें? बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?
दोस्तों हमें इस तरह के आकस्मिक परिवर्तन के लिए अपने शरीर हो हमेशा तैयार रखना चाहिए. जो भी आवश्यक सावधानियां होती हैं वो जरुर अपनानी चाहिए. जैसे - ऐसे में बाहर कम निकले, भीगे नहीं, गन्दगी या कूड़े कचरे के पास जाने से बचें, गंदे कपड़े न पहनें , बीमार व्यक्ति से ज्यादा करीब से बात न करें।किसी गन्दी जगह या चीज़ को न छुएं, बाहर का खाना न खाएं, खुली हुई चीज़े न खाएं और जो सबसे ज्यादा जरुरी है वो है स्वच्छता का ध्यान रखना - खाना अच्छी तरह हाथ धोकर खाएं, टॉयलेट के बाद साबुन से हाथों को जरुर धुलें, रोज़ नहायें. मुझे लगता है हम लोग अगर ये सारी चीजों का 90% भी करेंगे तो जल्दी बीमार नहीं पड़ेंगे.
किस मौसम में हमें किस तरह रहना है और कौन कौन सी सावधानी रखनी है हमें पता होते हुए भी हम अपनी मनमानी करते हैं. सोचतें हैं हमें क्या हो सकता हम तो एकदम फिट हैं, सर्दियों में ठंडी चीज़े खाएँगे, बिना गर्म कपड़े पहने बाहर घूमेंगे, और बिना हेलमेट पहने बाइक चलाएँगे, गर्मियों में मसालेदार गरम खाना, बाहर का अस्वच्छ भोजन और समोसों का आनंद लेतें हैं. किस मौसम में हमें क्या खाना है और कब कब खाना है हम इसका ख्याल नहीं रखते हैं और बीमार हो जाते हैं.
अधिक मामलों में बीमार होने की वजह हमारा खाना ही है, जब हम बीमार होने के बाद Doctor के पास जाते हैं तो Doctor भी सबसे पहले यही सवाल पूछता है की आपने खाया क्या था? आजकल हम खाना ऐसे खाते हैं जैसे हमें खाने के Nutrients से कोई मतलब ही नहीं है बस जायेका अच्छा होना चाहिए.
जाएके के लिए हम खाने को खूब तेल मसलों का तड़का लगाकर देर तक पकाते है जिससे खाने के 90% तक पोषक तत्त्व (nutrients) खत्म हो जाते हैं. दोस्तों आपको पता है सब्जियों को पेड़ से कटने के बाद 36 घंटे के अन्दर खा लेना चाहिए, 36 घंटे के बाद सब्जियों और फलों के 30% तक पोषक तत्त्व खत्म हो जाते हैं और हम बाजार से खरीदकर सब्जियों को 5 से 6 दिन तक फ्रिज में store कर देते हैं सोंचिये उनमें कितना nutrients बचा होगा.
इस कारण हमारे शरीर को पूरे और जरुरी Nutrients नहीं मिल पा रहे हैं एक वजह ये भी है जिससे हम जल्दी बीमार हो जाते हैं.
मुझे आशा है की आप यह जान गये होंगे की - "मौसम परिवर्तन में होने वाली बिमारियों से कैसे बचें? बदलते मौसम में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल?" How To Prevent Disease From Season Change?
दोस्तों अगर हम इन छोटी छोटी मगर मोटी बातों का ध्यान रखें और थोड़ी Care अपनी सेहत की भी करें तो हम इतनी जल्दी बीमार नहीं होंगे और ये नहीं कहना पड़ेगा की - "मौसम ख़राब है".
शुभकामनाओं के साथ आपका इन्टरनेट अंकल।